विधानसभा उपचुनाव : INDIA और NDA के लिए क्या संकेत दे रहे नतीजे, क्या होगा इसका असर?

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Jul 14, 2024

Assembly bypolls Result: देश के सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों में केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. वह इन 13 में से सिर्फ दो सीटें जीत सकी. दूसरी तरफ भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (INDIA Alliance) 10 सीटें जीतने में कामयाब हुआ, एक सीट निर्दलीय के खाते में गई. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने बलबूते सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो सकी थी. उसने एनडीए में शामिल दलों के साथ सरकार बनाई. इंडिया गठबंधन ने उसे इस चुनाव में कड़ी टक्कर दी. अब इन उपचुनावों में विपक्षी दलों की ताकत एक बार फिर उभरी. यह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.  

विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने इंडिया गठबंधन में जोश भर दिया है और एनडीए को चिंता में डाल दिया है.

नई दिल्ली:

Assembly bypolls Result: देश के सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों में केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. वह इन 13 में से सिर्फ दो सीटें जीत सकी. दूसरी तरफ भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (INDIA Alliance) 10 सीटें जीतने में कामयाब हुआ,एक सीट निर्दलीय के खाते में गई. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने बलबूते सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो सकी थी. उसने एनडीए में शामिल दलों के साथ सरकार बनाई. इंडिया गठबंधन ने उसे इस चुनाव में कड़ी टक्कर दी. अब इन उपचुनावों में विपक्षी दलों की ताकत एक बार फिर उभरी. यह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.


बंगाल,उत्तराखंड,बिहार,हिमाचल प्रदेश,पंजाब,तमिलनाडु और मध्यप्रदेश की 13 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हुए. इनमें से मध्यप्रदेश की अमरवाड़ा और हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर सीट पर ही बीजेपी को जीत मिल सकी. कांग्रेस चार सीटों पर,टीएमसी चार सीटों पर,आम आदमी पार्टी एक सीट पर और डीएमके ने एक सीट पर विजयी हुई. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली.

विधानसभा उपचुनावों से एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के विधान परिषद (एमएलसी) के चुनाव के नतीजों ने एनडीए (महाराष्ट्र में महायुति) का हौसला बढ़ा दिया था. महाराष्ट्र विधान परिषद की कुल 11 सीटों के लिए हुए चुनाव में एनडीए के नौ उम्मीदवार जीते और महाविकास अघाड़ी (MVA) दो सीटें जीत सकी. लेकिन सात राज्यों की 13 सीटों के उपचुनावों के परिणामों ने एनडीए को जहां करारा झटका दिया वहीं इंडिया गठबंधन का हौसला बढ़ा दिया.

तृणमूल कांग्रेस हुई मजबूत


इस विधानसभा उपचुनाव में सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में चार सीटों पर चुनाव हुए. इसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की. रायगंज,बागदा,राणाघाट और मानिकतला सीट पर टीएमसी ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी. रायगंज विधानसभा सीट पर टीएमसी की कृष्णा कल्याणी ने बीजेपी के मानस कुमार घोष को 49 हजार अधिक मतों के अंतर से हरा दिया.

बागदा सीट पर टीएमसी की मधुपर्णा ठाकुर 33 हजार से अधिक मतों से जीतीं. राणाघाट सीट पर टीएमसी के मुकुट मणि ने बीजेपी के मनोज कुमार बिस्वास को लगभग 39 हजार वोटों से पराजित कर दिया. मानिकतला विधानसभा सीट पर टीएमसी की सुप्ती पांडे ने बीजेपी के कल्याण चौबे को 41 हजार से अधिक वोटों से पराजित कर दिया.

हिमाचल में बीजेपी का दामन थामने वालों को मिला सबक

हिमाचल प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों में राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत हासिल की. राज्य की देहरा,हमीरपुर और नालागढ़ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. देहरा सीट पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश ठाकुर ने बीजेपी के होशियार सिंह को नौ हजार से अधिक मतों से हराया. नालागढ़ सीट पर कांग्रेस के हरदीप सिंह बावा ने भी बीजेपी के केएल ठाकुर को करीब नौ हजार वोटों से हरा दिया. सिर्फ हमीरपुर में बीजेपी को जीत मिली. यहां पार्टी के प्रत्याशी आशीष शर्मा ने कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा को 1571 मतों से हरा दिया.

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उक्त तीनों सीटों पर पहले निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. तीनों निर्दलीय विधायक देहरा के होशियार सिंह,हमीरपुर के आशीष शर्मा और नालागढ़ के केएल ठाकुर ने 22 मार्च को विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था जिससे यह सीटें खाली हो गई थीं. इन तीनों विधायकों ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था और बाद में यह तीनों बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी ने इन तीनों पूर्व विधायकों को चुनाव मैदान में उतारा था. इनमें से एक फिर से विधायक बनने में सफल हुए लेकिन दो को पराजय का सामना करना पड़ा. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी,लेकिन विधानसभा चुनाव में नतीजे इससे उलट रहे. हमीरपुर सीट बीजेपी ने जीती लेकिन मतों का अंतर बहुत कम रहा.

उत्तराखंड में बीजेपी की तमन्ना नहीं हो सकी पूरी

बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले उत्तराखंड में भी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. यहां मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. यह दोनों सीटें पर पहले कांग्रेस और बीएसपी के पास थीं. बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने बीजेपी के राजेंद्र भंडारी को पांच हजार से अधिक वोटों से हरा दिया. यह सीट कांग्रेस से विधायक रहे राजेंद्र भंडारी के इसी साल मार्च में इस्तीफा देने से खाली हो गई थी. भंडारी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे.

मंगलौर सीट पर कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने बीजेपी के करतार सिंह भड़ाना को 400 से अधिक मतों से पराजित कर दिया. काजी निजामुद्दीन इस क्षेत्र से पूर्व में तीन बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं. यह सीट पिछले साल अक्टूबर में बीएसपी विधायक सरबत करीम अंसारी के निधन के बाद खाली हो गई थी. मुस्लिम और दलित बहुल आबादी वाली मंगलौर सीट पर बीजेपी को कभी भी जीत नहीं मिल सकी है.

बिहार में जेडीयू को झटका,बीमा भारती कहीं की नहीं रहीं

बिहार में एक विधानसभा सीट रुपौली में उपचुनाव हुआ था. बिहार की इस चर्चित सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह चुनाव जीत गए. उन्होंने जेडीयू के कलाधर मंडल को पराजित किया. आरजेडी की बीमा भारती को भी कड़ी हार का सामना पड़ा और वे तीसरे नंबर पर रहीं. शंकर सिंह ने मंडल को 8253 मतों से पराजित किया. शंकर सिंह को कुल 680767 वोट मिले और कलाधर मंडल को 58814 वोट मिले. बीमा भारती कुल 30613 वोट ही हासिल कर सकीं.

बीमा भारती के मार्च में जेडीयू छोड़कर आरजेडी में शामिल हुई थीं जिससे यह सीट खाली हो गई थी. बीमा भारती लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट से आरजेडी की उम्मीदवार थीं. इस चुनाव में उन्हें निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से पराजय मिली थी. हालांकि पप्पू यादव ने इस उपचुनाव में बीमा भारती को समर्थन दिया था जिससे यहां का मुकाबला दिलचस्प हो गया था. इस सीट पर जेडीयू की हार से एनडीए को झटका लगा है.

पंजाब में 'आप' छोड़ने वाले शीतल अंगुरल को पराजित होना पड़ा

पंजाब की जालंधर पश्चिम सीट उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के मोहिंदर भगत ने बीजेपी के शीतल अंगुरल को लगभग 37 हजार वोटों से पराजित कर दिया. यहां पूर्व में शीतल अंगुरल ही आम आदमी पार्टी से विधायक थे. बाद में उनके बीजेपी में शामिल होने से यह सीट खाली हो गई थी. उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बाद इस सीट को जीतने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पूरी ताकत लगाई थी. मोहिंदर भगत पिछले साल बीजेपी छोड़कर 'आप' में शामिल हुए थे.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस को उपचुनाव में भी लगा झटका

मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस सीट पर बीजेपी के कमलेश शाह ने 3252 वोटों से जीत दर्ज की. कांग्रेस के प्रत्याशी धीरन शाह के पराजित होने से राज्य में लोकसभा चुनाव में कड़ी शिकस्त झेलने वाली कांग्रेस को एक और झटका लगा. सन 2023 के विधानसभा चुनाव में अमरवाड़ा सीट पर कांग्रेस की जीत हुई थी,लेकिन कमलेश शाह के बाद में बीजेपी में शामिल होने से यह सीट खाली हो गई थी. पिछले विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की सभी आठ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में जीत हासिल की थी.

तमिलनाडु में डीएमके ने बरकरार रखी सीट

तमिलनाडु की विक्रवंडी सीट के उपचुनाव में राज्य के सत्ताधारी दल और इंडिया गठबंधन का हिस्सा डीएमके ने जीत हासिल की है. डीएमके के अन्नियुर शिवा ने पट्टाली मक्कल काची पार्टी (PMK) के सी अन्बुमणि को 50 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया. यह सीट छह अप्रैल को डीएमके के विधायक एन पुगाजेंथी के निधन से खाली हो गई थी. एआईएडीएमके ने इस उपचुनाव का बहिष्कार किया था.

अब एनडीए पर अधिक आक्रामक हो सकती है कांग्रेस

लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद इस चुनाव में मिली शानदार जीत विपक्ष के इंडिया गठबंधन का हौसला बढ़ाने वाली है. इस विधानसभा उपचुनाव में सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को हुआ है. कांग्रेस ने पांच सीटें जीती हैं. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने चार सीटें जीती हैं. विपक्ष की इस सफलता का असर राज्य के साथ ही केंद्र में भी साफ दिखाई देगा. अब कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ और अधिक आक्रामक नजर आ सकती है. हिमाचल प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस,पश्चिम बंगाल में तृणमूल मजबूत हुई है. उत्तराखंड में भी कांग्रेस का वर्चस्व बढ़ गया है.

बीजेपी और एनडीए के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण

दूसरी तरफ बीजेपी और एनडीए के लिए यह परिणाम चिंता में डालने वाले हैं. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में भी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. बीजेपी के लिए यह आगामी उपचुनाव चुनौतीपूर्ण होंगे. उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे. उससे पहले होने वाले उपचुनाव राज्य में एनडीए के लिए लिटमस टेस्ट की तरह होंगे. उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. राज्य की 80 सीटों में से एनडीए को 36 सीटें ही मिल सकी थीं. दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन ने 43 सीटें जीती थीं.

इसी साल के अंत में हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव होंगे. हरियाणा में पिछले चुनाव में 40 सीटें जीतने वाली बीजेपी अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहती है. उधर महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में अनिश्चित बनी हुई है. भले ही एमएलसी चुनाव में एनडीए को अच्छी सफलता मिली है पर उसके लिए अगले विधानसभा चुनाव की राह आसान नहीं है.