ट्रेन की चादरों की कैसे होती है धुलाई, देखिए जरा

साइबर सुरक्षा IDOPRESS
Dec 2, 2024

बैडरोल और कंबलों के रखरखाव और सफाई के बारे में उत्तर रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि यह लॉन्ड्री 2017-18 में शुरू हुई थी. आनंद विहार टर्मिनल को लगभग 17500 लिनेन सेट की आपूर्ति की जाती है.

नई दिल्ली:

आनंद विहार रेलवे स्टेशन से एक वीडियो सामने आया है. जिसमेंदिखाया गया है कि ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले वालेबैडरोल कीधुलाई कैसे की जाती है. पहले वॉशिंगमशीन में बैडरोल (चादरों और तकिये के कवर) को अच्छे से धोया जाता है. फिर उनको मशीन की मदद से ही सुखाया जाता है. इसके बाद अच्छे से प्रेस करके इनको पैक किया जाता है. इस तरह से एकदम साफ बैडरोल यात्रियों तक पहुंचाई जाती है. चादर की सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है.

#WATCH | Delhi | On the maintenance and cleanliness of bedrolls and blankets,Northern Railways CPRO,Himanshu Shekhar Upadhyay says,"... This laundry began in 2017-18. This is a fully mechanised laundry. Nearly 17500 linen sets are supplied to Anand Vihar Terminal,a major… https://t.co/sB4hGcvNjD pic.twitter.com/BguJD6Qsak

— ANI (@ANI) December 1,2024बैडरोल और कंबलों के रखरखाव और सफाई के बारे में उत्तर रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि यह लॉन्ड्री 2017-18 में शुरू हुई थी. यह पूरी तरह से मशीनीकृत लॉन्ड्री है. आनंद विहार टर्मिनल को लगभग 17500 लिनेन सेट की आपूर्ति की जाती है,जिसमें से एक बड़ा हिस्सा इस लॉन्ड्री सुविधा से जाता है. लिनेन की सफाई एक उचित प्रक्रिया के अनुसार की जाती है. धुले हुए लिनन को उच्च तापमान पर मशीनीकृत स्टीमर में इस्त्री किया जाता है. कंबलों को भी अच्छे से साफ किया जाता है.

नया लांड्री केयर सेंटर स्थापित

इसी बीचपूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने सभी यात्रियों को स्वच्छ और अच्छी गुणवत्ता वाले लिनेन उपलब्ध कराने के लिए गुवाहाटी में एक नया लांड्री केयर सेंटर स्थापित किया है,जिसकी क्षमता प्रतिदिन 32,000 बेडरोल की है.

इससे पहलेउत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने कहा था कि सभी चद्दरों और पिलो कवरकी मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बैडरोल मिल सके. उन्होंने ये भी बताया था किकंबलों की धुलाई 2010 में जहां तीन महीने में एक बार की जाती थी,उस अवधि को घटा कर 2010 से दो महीने में एक बार तथा वर्तमान में 30 दिन में एक बार किया गया था.