डिजिटल मुद्रा के स्तर पर क्या है भारत की स्थिति

विनियमन
Mar 12, 2024

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में घोषणा की थी कि बिटकॉइन को भारत में मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं मिला है। इसके अलावा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में घोषणा की थी कि बिटकॉइन को भारत में मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं मिला है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ‘बैंक नोटों’ की परिभाषा को व्यापक करने की सिफारिश की थी ताकि इसके दायरे में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को भी शामिल किया जा सके।

हालांकि क्रिप्टोकरेंसी विधेयक का इंतजार है लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि भारत एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था नहीं है जो डिजिटल मुद्रा तैयार कर रही है।

अटलांटिक काउंसिल के डेटाबेस से मिले आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 90 फीसदी का योगदान देने वाले 87 देश सीबीडीसी पर काम कर रहे हैं जबकि तीन ने पहले ही अपनी परियोजनाओं को रद्द कर दिया है। सात देशों ने अपनी डिजिटल मुद्रा शुरू कर दी है जिनमें  नाइजीरिया बिल्कुल नया है जबकि 16 देश प्रायोगिक परीक्षण जबकि 15 देश डिजिटल मुद्रा के विकास के चरण में हैं।

प्रायोगिक परीक्षण के चरण में चीन, सऊदी अरब, स्वीडन और दक्षिण कोरिया जैसे बड़े देशों के नाम शामिल हैं। नवंबर में जारी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में पीपुल्स बैंक ऑफ  चाइना (पीबीओसी) के एक अधिकारी के हवाले से दावा किया गया था कि 14 करोड़ लोगों ने डिजिटल युआन के लिए वॉलेट खोले थे और अक्टूबर के अंत तक डिजिटल मुद्रा में 9.7 अरब डॉलर तक का लेन-देन किया गया था। इस लिहाज से भारत अपने समकालीन देशों से काफी पीछे है। दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और रूस सीबीडीसी के विकास के चरण में हैं जबकि भारत के साथ-साथ अन्य 39 देश शोध के चरण में हैं।

अटलांटिक काउंसिल के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन महीनों में सीबीडीसी में दिलचस्पी बढ़ी है। अप्रैल में, 74 देश डिजिटल मुद्रा के विकास के विभिन्न चरणों में थे जबकि नवंबर में इसमें 16 और नाम जोड़े गए हैं। जबकि कुल देशों में से केवल 1 प्रतिशत ने अप्रैल तक डिजिटल मुद्रा शुरू की थी और अब लगभग 8 प्रतिशत ने यह मुद्रा लॉन्च कर दी है। दुनिया के कई देशों में यह अब भी शोध के चरण में हैं ।

2017 के श्वेत पत्र में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित शोध संस्था, इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट ऐंड  रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी ने ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए रुपये का डिजिटलीकरण करने पर चर्चा की थी।

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