आरबीआई की नई डिजिटल मुद्रा की संभावनाएं और चुनौतियां क्या हैं?

अंकीयकरण
Apr 8, 2024

विक्रांत निर्मला, लखनऊ कोई भी अर्थव्यवस्था सुचारु रुप से कार्य करे और इसमें शामिल केंद्रीय बैंक और सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बना रहे, इसके लिए एक महत्वपूर्ण बुनियाद है कि उस अर्थव्यवस्था में लागू करेंसी या मुद्रा का अपना एक स्वंतत्र और एकछत्र अस्तित्व सर्वदा बचा रहे.

विक्रांत निर्मला, लखनऊ कोई भी अर्थव्यवस्था सुचारु रुप से कार्य करे और इसमें शामिल केंद्रीय बैंक और सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बना रहे, इसके लिए एक महत्वपूर्ण बुनियाद है कि उस अर्थव्यवस्था में लागू करेंसी या मुद्रा का अपना एक स्वंतत्र और एकछत्र अस्तित्व सर्वदा बचा रहे. पिछले कुछ वर्षों में या कहे तो कोविड संकट के बाद दुनिया के तमाम मुल्कों की अधिकारिक मुद्रा को क्रिप्टोकरेंसी और निजी डिजिटल करेंसी ने चुनौती दी है. टेक्नोलॉजी के इस दौर में इस नवाचार के सही और गलत पर बहस एक तरफ हो सकती है लेकिन यह सत्य है कि क्रिप्टोकरेंसी के प्रसार ने केंद्रीय बैंकों के एकमात्र करेंसी-जारीकर्ता होने के अधिकार को चुनौती दी है.

हाल के वर्षों में एक बहुत बड़े वर्ग ने अपनी व्यक्तिगत लेन-देन में क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भुगतान चालू किया है, जबकि अर्थव्यवस्था में लेनदेन के लिए केंद्रीय बैंक या संबंधित संस्था के जरिए जारी मुद्रा को ही अधिकारिक मुद्रा माना जाता है. इसलिए दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के सामने देश की अधिकारिक मुद्रा में लोगों के भरोसे को बचाने की चुनौती बढ़ती जा रही है. इस समस्या के समाधान के लिए अब केंद्रीय बैंकों ने मुद्रा के नए संस्करण "डिजिटल करेंसी" पर काम चालु कर दिया है. भारत सरकार ने भी बजट 2022-23 में "डिजिटल रुपया" लाने की घोषणा की है. हाल ही में आरबीआई ने डिजिटल करेंसी पर एक रिपोर्ट के जरिए इसके जारी और लागू करने की संरचना का रूपरेखा प्रस्तुत किया है और जल्द ही इसके पायलट टेस्टिंग की बात कही है.

डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपया क्या है?
आईएमएफ (इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड), बीआईएस(बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट) या फिर आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की डिजिटल करेंसी पर आई रिपोर्टों का अध्ययन करें तो एक मूल बात स्पष्ट होती है कि 'डिजिटल मुद्रा जारी भौतिक मुद्रा का एक डिजिटल रूपांतरण है, जिसे सरकार की कानूनी मान्यता प्राप्त है.' इसलिए इसे "सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. इसी क्रम में भारत का डिजिटल रुपया भी जारी भौतिक रुपए से अलग ना होकर केवल उसका एक डिजिटल रूप है.

यूपीआई, भीम और अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों की मौजूदगी के बीच इसकी क्या जरूरत है?
डिजिटल रुपए की घोषणा के बाद से एक संदेह निरंतर बना हुआ है कि जब पहले से यूपीआई, भीम या अन्य डिजिटल भुगतान माध्यम उपलब्ध हैं तो फिर 'डिजिटल रुपए' की क्या जरूरत है? इसका जवाब यह है कि जब कोई ग्राहक यूपीआई, भीम या अन्य डिजिटल माध्यमों से भुगतान करता है तो इस स्थिति में बैंक को उसके हर रुपए की लेन-देन के लिए भौतिक करेंसी का मेंटेनेंस करना अनिवार्य होता है. जबकि डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के जरिए अधिकारिक मुद्रा होगी, जिसके लिए बैंकों को भौतिक मुद्रा के मेंटेनेंस की दुविधा नहीं रह जाएगी. इससे आरबीआई करेंसी की छपाई और वितरण पर होने वाले हजारों करोड़ रुपए के खर्च को भी बचा सकेगी.

एक महत्वपूर्ण अंतर यह भी है कि यूपीआई, भीम या अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों से किए गए डिजिटल लेनदेन में बैंकिंग सिस्टम का उपयोग शामिल है, जबकि डिजिटल रुपए में बैंकिंग सिस्टम का उपयोग शामिल नहीं होगा और यह वित्तीय संस्थानों के बजाय केंद्रीय बैंक आरबीआई की प्रत्यक्ष गारंटी होगी.

डिजिटल रुपया कैसे जारी किया जाएगा?
आरबीआई ने हाल ही में अपनी जारी रिपोर्ट में डिजिटल रुपए को जारी करने के लिए प्रमुख डिजाइन विकल्पों का जिक्र किया है. सबसे पहले डिजिटल करेंसी 2 तरीके कीहोगी- "थोक डिजिटल करेंसी एवं खुदरा डिजिटल करेंसी." डिजिटल करेंसी को जारी करने और प्रबंधन के लिए तीन तरह के मॉडल इस्तेमाल किए जाएंगे- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष एवं हाइब्रिड मॉडल. प्रत्यक्ष मॉडल में आरबीआई सीधे तौर पर मुद्रा का संचालन करेगी, अप्रत्यक्ष मॉडल में बैंको का इस्तमाल किया जाएगा और हाईब्रिड मॉडल में दोनों उक्त मॉडलों का मिश्रण किया जायेगा. डिजिटल करेंसी दो तरह के फॉर्म में उपल्ब्ध होगी - टोकन आधारित या खाता आधारित. साथ ही साथ डिजिटल रुपए में लेन देन के दौरान निजता का भी ख्याल रखा जाएगा. एक निश्चित राशि तक के भुगतान में कर्ता की पहचान गुप्त रहेगी. लेकिन बड़े भुगतानों में कर्ता की पहचान को आरबीआई डिजिटल ट्रेल के जरिए जान सकेगी.

डिजिटल रुपए के क्या लाभ है?
"डिजिटल रुपए" का लाभ केंद्रीय बैंक के साथ-साथ इसके उपभोक्ताओं को भी होगा. केंद्रीय बैंक के रूप में देखें तो डिजिटल करेंसी का प्रत्यक्ष लाभ नोटों की छपाई और उसके प्रबंधन में आने वाले खर्च की गिरावट के रूप में दिखाई पड़ेगा. इसके साथ ही पुराने नोटों की गुणवत्ता वाली समस्या से भी आरबीआई को निजात मिल जाएगी. क्रिप्टो मुद्रा और निजी करेंसी के बढ़ते बाजार के बीच आरबीआई की डिजिटल करेंसी अर्थव्यवस्था के अधिकारिक मुद्रा में लोगों के भरोसे को बरकरार रखेगी. साथ ही इनके संभावित खतरों से बचा पाएगी. साथ ही उपभोक्ताओं को भी एक त्वरित भुगतान माध्यम प्राप्त होगा जो अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की स्थिति में डिजिटल करेंसी अन्य सभी उपलब्ध भुगतान माध्यमों में सबसे बेहतर साबित होगी.

डिजिटल रुपए की एक विशेषता इसकी प्रोग्रामयोग्य करेंसी के रूप में तकनीकी संभावना है. उदाहरण के लिए बैंकों द्वारा दिए जा रहे कृषि कर्ज को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है कि इसका उपयोग केवल कृषि जरूरतों की वस्तुओं के लिए किया जा सके. इसका आशय यह हुआ कि कृषि कर्ज के अंतर्गत डिजिटल रुपए के रूप में प्राप्त धनराशि से एक किसान कृषि से जुड़े उपकरण, खाद,‌बीज एवं अन्य चीजों को ही खरीद सकता है. यह मुद्रा फिर किसी दुसरे कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं हो पाएगी.

"डिजिटल रुपए" के सामने क्या चुनौतियां है?
डिजिटल रुपए का सिद्धांत बिल्कुल नया है और दुनिया के तमाम देशों में अभी शुरुआती दौर में है. इसलिए इसके क्रियान्वयन का कोई बहुत प्रमाणिक आधार उपलब्ध नहीं है. बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन ने जरूर 2 साल पहले अपने डिजिटल करेंसी को लागू कर दिया था लेकिन चीन की सूचनाओं पर भारत अपनी नीति नहीं बना सकता है. इसलिए आरबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो यह है कि वह डिजिटल रुपए को अपनी आबादी के बीच में कैसे स्थापित करती है. वित्तीय साक्षरता के मामले में अभी बहुत पीछे चल रहे मुल्क में ऐसे नए वित्तीय प्रयोग को लेकर सावधानी बरतनी पड़ेगी.

इसमें एक चुनौती ऑफलाइन डिजिटल रुपए को क्रियान्वित करने की है. आज भी एक बड़ी आबादी इंटरनेट की पहुंच से दूर है, जबकि इस नई मुद्रा के लिए यह एक जरूरी आयाम है. इसलिए आरबीआई को इसके समाधान पर एक ठोस उपाय करना पड़ेगा क्योंकि मुद्रा वही है जो हर नागरिक तक उपल्ब्ध हो.

निष्कर्ष
अर्थशास्त्र में नोबेल विजेता 'जेम्स टोबिन' कहते थे कि फेडरल रिजर्व बैंक को अमेरिका में लोगों के लिए आसान और सुरक्षित करेंसी उपलब्ध करानी चाहिए. इसका निहितार्थ यह है कि "करेंसी वह माध्यम होनी चाहिए जो लोगों के पहुंच में हो और एक सुरक्षित लेन-देन का माध्यम हो." वर्तमान समय डिजिटल मुद्रा का है. इस मुद्दा की मांग किसी केंद्रीय बैंक से नही बल्की लोगों के बिच से आ रही है. सरकार और आरबीआई की जवाबदेही बनती है कि वह एक सुरक्षित, आसान और तेज डिजिटल रुपया लोगों तक उपलब्ध कराएं.