बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से देश की व्यापार नीति और विदेश नीति में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. कराची से एक मालवाहक जहाज चट्टोग्राम (Cargo ship from karachi to Bangaldesh) पहुंचा है. यह पहला जहाज है जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच यात्रा कर चट्टोग्राम पहुंचा है. शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बांग्लादेश की विदेश और व्यापार नीति में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. इस बार में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर से ढाका में कहा कि ये दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को लेकर बड़ा कदम है. पाकिस्तान अधिकारी का दावा भी है कि यह दोनों देशों में ऐतिहासिक रूप से तनावग्रस्त संबंधों में बदलाव के रूप में देखा जा सकता है. अभी तक दोनों देशों के संबंधों के बीच 1971 की लड़ाई की परछाई काफी अहम रोल अदा कर रही थी.
पाकिस्तान के कराची से बांग्लादेश पहुंचा पहला कार्गो शिप.
नई दिल्ली:
Bangladesh and Pakistan relation: बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से देश की व्यापार नीति और विदेश नीति में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. कराची से एक मालवाहक जहाज चट्टोग्राम (Cargo ship from karachi to Bangaldesh) पहुंचा है. यह पहला जहाज है जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच यात्रा कर चट्टोग्राम पहुंचा है. शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बांग्लादेश की विदेश और व्यापार नीति में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. इस बार में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर से ढाका में कहा कि ये दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को लेकर बड़ा कदम है. पाकिस्तान अधिकारी का दावा भी है कि यह दोनों देशों में ऐतिहासिक रूप से तनावग्रस्त संबंधों में बदलाव के रूप में देखा जा सकता है. अभी तक दोनों देशों के संबंधों के बीच 1971 की लड़ाई की परछाई काफी अहम रोल अदा कर रही थी.
पाकिस्तान की ओर इन अत्याचारों के लिए कभी कोई न तो खेद व्यक्त किया गया और न ही माफी मांगी गई.
बांग्लादेश में अब्दुल कादिर मुल्ला की फांसी का हसीना को पाकिस्तान से विरोध झेलना पड़ा. पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली ने मुल्ला की फांसी के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया. इसका जवाब हसीना की ओर से आया जिन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी तक बांग्लादेश की आजादी को पचा नहीं पाया है. साथ ही उनका कहना था कि बांग्लादेश में पाकिस्तान के कई मित्र हैं.
बांग्लादेश में कई लोगों को नई दिल्ली के साथ हसीना के बेहतर संबंध अच्छे नहीं लग रहे थे. बांग्लादेश में भारत विरोधी विचारधारा भी बढ़ती जा रही थी और लोग ऐसा मान रहे थे कि भारत का बांग्लादेश के आंतरिक मामले में दखल है. इसका उदाहरण ऐसे समझ सकते हैं. कुछ समय पहले पांच दशकों से बने इंदिरा गांधी कल्चरल सेंटर जहां पर भारतीय सांस्कृतिक गतिविधियां हुआ करती थीं,वहां पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया था.
तीसरा महत्वपूर्ण कारण यह रहा है कि बांग्लादेश में एक तबका है जो 1971 की घटना का विरोध भी करता है. वह 1971 को बांग्लादेश और बंगाली राष्ट्रवाद की जीत नहीं मानता है. इस प्रकार के लोग 1971 को विभाजन के वादे के साथ धोखा मानते हैं. हसीना के जाने के बाद जमात ए इस्लामी की ढाका में गहरी मौजूदगी हो गई है.
भारत के खिलाफ विचारवाले लोगों के बांग्लादेश की राजधानी में बढ़ते प्रभाव को देखकर कहा जा सकता है कि आगे आने वाले समय में भारत से बांग्लादेश की तल्खी और बढ़ेगी और वहीं,पाकिस्तान के साथ संबंध और बेहतर होंगे.